Thursday, July 3, 2008

Episode: 68 - Hanuman bring Viadh Sushen and departs for Sanjivani

Ramayan (1986)
Directed by: Ramanand Sagar
Writing credits: Valmiki, Tulsidas, Ramanand Sagar
Year: 1986


हनुमान लाए वैद्य सुषेण को लंका से
श्री हनुमान महाबली, दुःख मेटन सुख देन ।
सूक्ष्म रूप धरि लंक में, ढूंढें वैद्य सुषेण ॥

रघुवर के सब काज कपि, करि डारि छिन मांहि ।
पवनपुत्र के कोष में, शब्द असंभव नाहि ॥

मूर्छित लक्ष्मण को देख कर राम की अवस्था
संजीवनी लावन चले, कपि कह जय श्री राम ।
करुण अवस्था में यहाँ, सोचें करुणाधाम॥

"क्या मोल भला इस जीवन का , आए यदि बन्धु के काम नहीं ।
भाई को जो आज बचा ना सका, कोई राम का लेगा नाम नहीं ॥
जग वालों जग में सब कुछ है, भाई जैसा सुख धाम नहीं ।
है जोड़ी राम और लक्ष्मण की, लक्ष्मण जो नहीं तो ये राम नहीं ॥"

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